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Channel: renu rakheja – p4poetry
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आपकी ज्योति

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ज़िन्दगी में अन्धेरा था
आपकी छोटी सी ज्योति ने इतनी रौशनी दी
और मेरे अन्दर समा गयी ,मेरी पहेली सुलझा दी
इतनी आसान और मैंने बरसों बिता दिए….सुलझा ना पाई
मैं नाच रहीं हूँ ,मेरा दिल गा रहा है
हज़ारों फूल खिल रहे हैं
मेरा जिस्म जैसे मेरा रहा ही नहीं
मैं तुम हूँ ,यह जहां हूँ ,ब्रह्माण्ड हूँ


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