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यह टिक टिक करती घड़ी
एहसास दिलाती है कि हम हर पल
मर ही तो रहें हैं
एक पल हमारी ज़िंदगी से कम हो गया है
क्या हम जी रहें हैं ?
अगर हम नाच नहीं रहे,गा नहीं रहे
प्रकृति से जुड़ नहीं रहे,महसूस नहीं कर रहे
उड़ नहीं रहे, बंध के जी रहे हैं
तो मर ही तो रहे हैं ?